सर्वाइकल कैंसर – कुछ तथ्य #1

आज सुबह जब मैं मरीज देखने बैठी, तो मुझे बताया गया कि एक मरीज को उसकी बारी आने के पहले देख लें क्योकि उसकी हालत खराब है और वह बैठ नहीं पा रही है। उसे बुलाया। उसके साथ उसकी ढ़ेर सारी फाइल्स थीं।

पूर्व कैंसर - स्टेज 2

पूर्व कैंसर – स्टेज 2, सही इलाज से पूरी तरह बचाव योग्य

देखा तो उनमें कुछ ऐसी गलतियां नज़र आईं जिनकी वजह से वह इस हाल में पहुंची थी।

  1. 2005 में उसका गर्भाशय और एक ओवरी निकाल दी गई। परन्तु ऑपरेशन के पहले कैंसर तो नहीं है, यह जानने के लिए न तो पैप स्मीयर किया गया, न HPV-HC2 टैस्ट, न कॉल्पोस्कोपी, और न बायोप्सी।
  2. ओवरी में गठान है तो यह कैंसर नहीं है, इसकी पुष्टि के लिए कोई खून जांच नहीं की गई।
  3. ऑपरेशन के दौरान ओवरी की गठान फूट गई।
  4. ऑपरेशन के बाद निकाले गए अंगों को बायोप्सी के लिए नहीं भेजा गया।
  5. मरीज को ऑपरेशन के बाद किसी चैक-अप के लिए नहीं बुलाया गया।

जांच करने पर और अभी की रिपोर्ट्स देखने पर यह पता चला की उसका कैंसर पेशाब की थैली,  लिवर, फेफडे सब तरफ फैल चुका था और अब किसी इलाज की कोई संभावना नहीं बची थी। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। अक्सर मरीज इसी स्थिति में आते हैं। यह हम डॉक्टरों के लिए दर्दनाक व शर्मनाक है। वह इसलिए क्योकि गर्भाशय मुख कैसर पूरी तरह बचाव योग्य है।

क्या करें?

  • इससे बचने के लिए किशोरावस्था में लड़कियों को HPV का टीका लगता है।
  • शारीरिक सम्बन्ध के 5 साल बाद से अंदरूनी जांच होनी चाहिए।
  • HPV-HC2 टेस्ट व पैप स्मीयर, जंरूरत पड़ने पर कॉल्पोस्कोपी, एन्डोमेट्रीयल बायोप्सी, सरवाईकल बायोप्सी, कैंसर के लिए रक्त की जांच सब करने के बाद कैसा ऑपरेशन करना है यह तय किया जाना चाहिए। बिना सही मर्ज़ का पता लगाए तुरत-फुरत ऑपरेशन नहीं होना चाहिए।
  • गर्भाशय मुख की बहुत सारी बीमारियां कॉल्पोस्कोपी से देखकर बिना ऑपरेशन ठीक हो जाती हैं। बायोप्सी कहां से लेना है वह भी ठीक-ठीक समझ आता है।
  • यदि गर्भाशय मुख कैंसर है, तो वह कहॉं तक फैला है, ऑपरेशन के लायक है भी या नहीं यह भी दिखता है।
  • ऑपरेशन के बाद निकाले गए अंगों की बायोप्सी ज़रूर होनी चाहिए।
  • मरीज को ऑपरेशन के बाद समय पर जांच के लिए उपस्थित होना चाहिए।

इन्हीं सब कमियों से आज भी भारत में विश्व का एक चौथाई सर्वाईकल कैंसर होता है और 27% मौतें भी। यह पूरी तरह बचाव योग्य है। टीका करण व HPV-HC2 स्क्रीनिंग, कॉल्पोस्कोपी व उपचार से इससे बचा जा सकता है। ज़रूरी है कि 30 वर्ष की उम्र होते ही स्क्रीनिंग के लिए जाया जाए।

मुझे कॉल्पोस्कोपी व उपचार करने का 14 वर्षों का अनुभव है, जिसमें मैंने यह देखा है कि गर्भाशय पूर्व कैंसर व गर्भाशय मुख का छाला 99% केसेज़ में बिना ऑपरेशन कॉल्पोस्कोपी के उपचार से ही  ठीक हो जाता है। उसके बाद सिर्फ़ साल में एक बार जॉंच के लिए जाना पड़ता है। इस तरह  गर्भाशय मुख कैंसर से पूरी तरह सुरक्षा मिल जाती है।

डॉ० आशा जैन

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