सर्वाइकल कैंसर – CIN या पूर्वकैंसर

श्रीमती ‘स’ ने पैप टेस्ट करवाया । उसमें रिपोर्ट आर्इ – CIN I। श्रीमती ल ने पैप टेस्ट करवाया, रिपोर्ट आर्इ – इन्फ्लेमेशन । सभी उलझन में है. कि आखिर इस रिपोर्ट का क्या मतलब है। क्या मुझे कैंसर होने वाला है ? श्रीमती स तो इतनी विचलित हो गर्इ कि वें सीधे देश की राजधानी के कैंसर अस्पताल पहुँच गर्इ । उनके दिल-दिमाग में यह घर कर गया कि उन्हे कैंसर होने वाला है ।

आइए, आज इस CIN , याने कि पूर्व कैंसर को समझें ।

पहली, आैर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि CIN या पूर्वकैंसर – कैंसर नहीं है।

गर्भाशय मुख कैंसर का कारक होता है एक वायरस जिसे ह्मूमन पैपिलोमा वायरस कहते हैं । इसकी 120 से ज्यादा प्रजातियां होती है । आैर उनमें से 33 को चिन्हित किया गया है । 15 हार्इ रिस्क , 18 लो रिस्क ।

  • हार्इ रिस्क – जिनसे बीमारी की संभावना ज्यादा है ।
  • लो रिस्क – जिनसे बीमारी की संभावना कम है ।

यह वायरस यौन संबंध से महिला के शरीर में प्रवेश करते हैं । इसके लिए गुप्ताँगों का स्पर्श भी पर्याप्त है। यौन संबंध के माध्यम से लगभग 80% महिलाएँ इस वायरस से संक्रमित हो जाती हैं । उसमें से 75-80% महिलाएँ अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता से इस वायरस को नष्ट कर देती हैं। उनमें यह कैंसर होने की संभावना नहीं होती । जो 20-25% महिलाएँ वायरस HPV को नष्ट नहीं कर पाती, उनके गुप्तागों में त्वचा की अंदरूनी सतह आैर एपिथीलियम की अंदरूनी सतह पर यह कोशिकाआें में अपना स्थान बना लेता है आैर वहाँ सुरक्षित जीवित रहता है । समय जैसे जैसे बीतता जाता है, वायरस कोशिका के न्यूक्लियस में स्थित डी.एन.ए. में अपना स्थान को परिवर्तित करता जाता है ।

  • कोशिका डी.एन.ए. में अांशिक परिवर्तन – CIN I
  • कोशिका के डी.एन.ए. में कुछ अधिक परिवर्तन – CIN II
  • कोशिका के डी.एन.ए. में अधिक परिवर्तन – CIN III
  • कोशिका में संक्रमण पर डी.एन.ए. सामान्य – इन्फ्लेमेटरी
  • असामान्य डी.एन.ए. , असामान्य कोशिका – कैंसर

संक्रमण हाेने से कैंसर हाेने तक में लगभग दस वर्षों का समय लगता है ।

10 वर्ष
सामान्य कोशिका —————————————————-> कैंसर कोशिका
HPV रोग प्रतिरोधक
संक्रमण क्षमता कम करने के
अन्य कारण

एक आैर महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो, तो शरीर डी.एन.ए. में हुए परिवर्तनों को सामान्य करने में सक्षम होता हैं । अतः जिसको CIN-I हुआ उसे कैंसर होने की संभावना बेहद कम होती है । 75-90% तक CIN-I – कुछ समय में सामान्य हो जाते हैं । 60% तक CIN II व 50% तक CIN III भी सामान्य हो जाते हैं। अतः डरना नहीं चाहिए ।

यदि CIN या पूर्वकैंसर हुआ भी है, तो इसका इलाज पूरी तरह, बिना गर्भाशय निकाले हो जाता है । काॅल्पोस्कापी करके यह पता कर लिया जाता है कि संक्रमण से हुर्इ असामान्यता गर्भाशय मुख के किस हिस्से में है । कितनी दूर तक असामान्य है ? फिर काॅल्पोस्कोपी से देखकर उस हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है । इसमें न तो बेहोश करने की जरूरत पड़ती है, न भर्ती करने की । जो हिस्सा निकाल दिया गया है, वह बायोप्सी जांच के लिए उपलब्ध हो जाता है । उससे यह पता चलता है कि CIN किस प्रकार का है – 1, 2, या 3 । पूरा निकल गया या नहीं ? अतः इससे पूरा इलाज भी हो जाता है।

याद रखें – बच्चेदानी का छाला, पूर्व कैंसर नही होता ।

एक आैर टेस्ट है, HPV-HC2। यह 13 कैंसर पैदा करने वाले वायरस का मिश्रित टेस्ट है, आैर इससे यह पता चलता है कि शरीर में कैंसर पैदा करने वाले वायरस कितनी मात्रा में है । यदि मात्रा एक निश्चित परिमाण से कम है, तो फिर सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना अगले 5 वर्षों में नहीं के बराबर होती हैं ।

अब प्रश्न यह है कि इस पूर्व कैंसर के क्या लक्षण है ? किसे हो सकता हैं ?
बंधुआें, ध्यान रखें, पूर्व कैंसर या CIN का कोर्इ लक्षण नहीं होता । केवल जांच द्वारा ही इसका पता चलता है । तब प्रश्न यह है कि जांच कौन करवाएं ?

  • जिस किसी का कभी भी यौन संबंध हुआ हो, उसे संबंध के 5 वर्ष बाद से HPV-HC2 + PAP करवाना शुरू कर देना चाहिए ।
  • यदि यह निगेटिव है, तो हर पांच साल में एक बार जांच की आवश्यकता है ।
  • यदि पाॅजिटीव है, तो काॅल्पोस्कोपी से जांच व उपचार कराकर अपने गर्भाशय को, आैर जीवन को सुरक्षित बना लें ।

अंत में यही कहना चाहूँगी – यदि आप 30 वर्ष से अधिक है – आइए, जांच कराइए । शुतुरमुर्ग बनने से जीवन सुरक्षित नहीं रहेगा । इसके लिए आपको आगे बढ़कर सार्थक प्रयास करना होगा ।

– डॉ. आशा जैन

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